Friday, September 13, 2024

भुमिहार(आयुधजीवी ब्राह्मण )

भुमिहार
ब्राह्मण जाति को सैन्य ब्राह्मण जाति माना जाता है।इस जाति पहली बार उल्लेख मदारपुर युद्ध के संदर्भ में कान्यकुब्ज ब्राह्मण वंशावली में मिलता है कश्यप गोत्र भूमिहार ब्राह्मण मदारपुर के जमींदार थे जिनका अपनी भूमि, संस्कृति और परंपराओं को बाहरी खतरों से बचाने के लिए हथियार उठाने का एक लंबा इतिहास है, जिसमें इस्लामी हमले भी शामिल हैं।ऐतिहासिक रूप से,भुमिहार ब्राह्मण अपनी बहादुरी, युद्ध कौशल और रणनीतिक सोच के लिए जाने जाते हैं उन्होंने दिल्ली सल्तनत और मुगल साम्राज्य सहित आक्रमणकारी सेनाओं के खिलाफ अपने क्षेत्रों की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। भुमिहार ब्राह्मणों ने अपनी भूमि, संस्कृति और परंपराओं को बचाने के लिए हथियार उठाया, जिससे उन्हें आयुधजीवी ब्राह्मण कहा जाता है सैन्य ब्राह्मण की प्रतिष्ठा मिली भूमिहार अपने प्रशासनिक और शासन कौशल के लिए भी जाने जाते हैं जिससे उन्हें अपने क्षेत्रों पर नियंत्रण बनाए रखने में मदद मिली।

Bhumihars (The Military Brahmin)

Bhumihars are considered a Brahmin caste, specifically a military Brahmin caste. They have a long history of taking up arms to protect their lands, culture, and traditions against external threats, including Islamic invasions. Historically, Bhumihar Brahmins were known for their bravery, martial skills, and strategic thinking. They played a significant role in defending their territories against invading armies, including those of the Delhi Sultanate and the Mughal Empire. Many Bhumihar Brahmins took up arms to protect their lands, culture, and traditions, earning them the reputation as fierce warriors. They were also known for their administrative and governance skills, which helped them maintain control over their territories.

Monday, August 26, 2024

🎗️🎗️सूर्य पूजा और भूमिहार🎗️🎗️

🎗️🎗️सूर्य पूजा और भूमिहार🎗️🎗️
भूमिहार ब्राह्मणों द्वारा सूर्य पूजा प्राचीन काल से की जा रही है प्रस्तुति अरविन्द रॉय 1812 में स्कॉटिश सर्वेक्षक फ्रांसिस बुकानन-हैमिल्टन ने भूमिहार ब्राह्मणों के द्वारा बनाये गए सूर्य मंदिर के बारे में लिखा है हिंदू देवताओं की मूर्तियों पर लिखते है पर बौद्ध धर्म पर कुछ लिखा नहीं ? बुकानन 1811 पटना-गया सर्वेक्षण में लिखते है सूर्य मंदिर भूमिहार ब्राह्मणों के पूर्वजो ने बनवाया था ये स्थानीय ग्रामीणों ने बताया बुकानन स्पष्ट भूमिहार को ब्राह्मण लिखते है जिस तरह से शाकद्वीपीय को ब्राह्मण लिखते बुकानन आस पास शिवलिंग के सम्बन्ध में भी लिखते है

Sunday, November 26, 2023

🎗️🎗️बाभन (भूमिहार)गुप्त काल- हर्ष काल)🎗️🎗️

🎗️🎗️बाभन (भूमिहार)गुप्त काल- हर्ष काल)🎗️🎗️
मूलनिवासी बाभन के मूल मौर्य काल से लेकर अब तक चले आ रहे हैं प्रस्तुति अरविंद रॉय सुंग वंश, कण्व वंश, चाणक्य वंश के मूल बाभन भूमिहार में अब तक पाए जाते हैं भेलावर, सोनभदरिया ,दोनवार दोन मूल के बाभनो का उल्लेख बौद्ध साहित्य में भी है आर्यभट्ट ,बाणभट्ट , मयूर भट्ट वत्स गोत्रीय ब्राह्मणों के मूल भी भूमिहार में है सोनभदरिया भूमिहार सोन नदी के तट के आस पास के इलाकों पर बसे है बाणभट्ट के साहित्य से इस संबंध में अच्छी जानकारी मिलती है कादंबरी को लेकर जो शोध हुए हैं इसमें भी लेखकों ने सोनभदरिया का जिक्र किया है (pic 1,2)

Monday, October 30, 2023

🎗️🎗️ पूर्वांचल के ब्राह्मण जमींदार🎗️🎗️

पूर्वांचल में ज्यादातर ब्राह्मण जमींदार भूमिहार थे जिनके लिए ब्राह्मण ही लिखा गया है प्रस्तुति अरविंद रॉय आईने अकबरी में गाजीपुर ,बनारस ,बिहार, चंपारण , माणिकपुर, इलाहाबाद के ब्राह्मण ,राजपूत ,कायस्थ जमींदार कई नाम बदल गए है जैसे मदन बनारस का जमानिया मदन बनारस दोनवार भूमिहार जमींदार थे इसी तरह बनारस के गंगापुर का भी प्राचीन नाम दिया हुआ है जहां के काशी नरेश और राज नारायण का परिवार था बिहार में उस समय लगभग सभी ब्राह्मण जमींदार भूमिहार थे

Tuesday, October 10, 2023

🎗️🎗️पश्चिमा ब्राह्मण ब्रिटिश रिपोर्ट 1830 ई🎗️🎗️

🎗️🎗️पश्चिमा ब्राह्मण ब्रिटिश रिपोर्ट 1830 ई🎗️🎗️
लगभग 170 वर्ष पुराने इस ब्रिटिश कालीन रिपोर्ट में मिथिला में भूमिहारों के रहन सहन जनसंख्या का पता चलता है प्रस्तुति अरविंद रॉय मिथिला में भूमिहार की स्थिति बंगाल के कुलीन ब्राह्मणों के समान थी यहाँ खुद को जमींदार कहना पसंद किया जाता था भूमिहार खुद हल नहीं छूते थे गोत्र,वेद आदि का पालन करते थे सैनिक जीवन पसंद था मुख्य रूप से पश्चिमा ब्राह्मण कहां जाता था जिनकी जनसंख्या 8000 परिवार थी भूमिहार दान नहीं लेते थे ये अंग्रेजो के लिए आश्चर्य था पर जो भी कन्याकुब्ज जमींदार थे वो कही भी दान नहीं लेते थे ना ही पुजारी का कार्य करते थे

Monday, October 9, 2023

🎗️🎗️भूमिहार पर अन्य ब्राह्मण भाग:-1🎗️🎗️

लगभग 200 वर्ष 1857 से पहले अन्य ब्राह्मण भूमिहार को ब्राह्मण ही कहता था मानता था प्रस्तुति अरविंद रॉय 200 वर्ष पूर्व खुद ब्राह्मणों का कहना था कि ब्राह्मण और भूमिहार में कोई अंतर नहीं सिर्फ भूमिहारो में दान लेना निषेध है उस समय बिहार में अन्य ब्राह्मणों की तरह ही भूमिहारो की हत्या भी ब्रह्म हत्या की श्रेणी में आता था मगध के भूमिहार कान्यकुब्ज ब्राह्मण में आते थे 1857 में अंग्रेजों के विरुद्ध भूमिहारो ने जो मोर्चा लिया अंग्रेज भूमिहारों को अन्य ब्राह्मणों से अलग करने में लग गए श्री कृष्ण सिंह भूमिहार ब्राह्मण के मुख्यमंत्री बनने के बाद साजिशन बिहार के नेताओं ने ब्राह्मण भूमिहार भेद पैदा किया 200 वर्ष पूर्व रिपोर्ट में साफ लिखा है भूमिहार ब्राह्मण है ये पहली जनगणना से भी पूर्व की बात है (pic:-1 )