Sunday, November 26, 2023

🎗️🎗️बाभन (भूमिहार)गुप्त काल- हर्ष काल)🎗️🎗️

🎗️🎗️बाभन (भूमिहार)गुप्त काल- हर्ष काल)🎗️🎗️
मूलनिवासी बाभन के मूल मौर्य काल से लेकर अब तक चले आ रहे हैं प्रस्तुति अरविंद रॉय सुंग वंश, कण्व वंश, चाणक्य वंश के मूल बाभन भूमिहार में अब तक पाए जाते हैं भेलावर, सोनभदरिया ,दोनवार दोन मूल के बाभनो का उल्लेख बौद्ध साहित्य में भी है आर्यभट्ट ,बाणभट्ट , मयूर भट्ट वत्स गोत्रीय ब्राह्मणों के मूल भी भूमिहार में है सोनभदरिया भूमिहार सोन नदी के तट के आस पास के इलाकों पर बसे है बाणभट्ट के साहित्य से इस संबंध में अच्छी जानकारी मिलती है कादंबरी को लेकर जो शोध हुए हैं इसमें भी लेखकों ने सोनभदरिया का जिक्र किया है (pic 1,2)

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