डुमरांव में जंगली महादेव का मंदिर है। संत दानी बाबा जंगल में भगवान की आराधना करते थे। भगवान शिव ने संत को शिवलिंग होने का स्वप्न दिए। शिवलिंग की स्थापना कर पूजा पाठ शुरू हो गया। घने जंगल के बीच शिवलिंग होने के कारण इन्हें जंगली महादेव के रुप में प्रसिद्धि मिली। घने जंगल में संत के पास सौ गायें थीं। संत सौ गायों के दूध से शिवलिंग का अभिषेक करते थे।
संत के निधन के बाद डुमरांव राज परिवार ने मंदिर के लिए चार बीघा जमीन देकर मंदिर निर्माण का कार्य शुरू कराया था। लेकिन निर्माण के दौरान बाधाएं आने लगी। अंत में निर्माण कार्य रोकना पड़ा था। पुराने लोगों का कहना है कि उस वक्त भगवान शिव ने महाराज को स्वप्न दिया कि मेरे इजाजत के बगैर कोई काम नहीं हो सकता। हुआ ऐसा ही, निर्माण कार्य बंद कर भगवान शिव की आराधना शुरू हुई। जब भगवान शिव की इजाजत मिली, तो डुमरांव राज परिवार ने भव्य मंदिर का निर्माण कराया। आज यहां जंगल नहीं है, लेकिन पेड़ पौधे लोगों को सकून देते हैं।
संत के निधन के बाद डुमरांव राज परिवार ने मंदिर के लिए चार बीघा जमीन देकर मंदिर निर्माण का कार्य शुरू कराया था। लेकिन निर्माण के दौरान बाधाएं आने लगी। अंत में निर्माण कार्य रोकना पड़ा था। पुराने लोगों का कहना है कि उस वक्त भगवान शिव ने महाराज को स्वप्न दिया कि मेरे इजाजत के बगैर कोई काम नहीं हो सकता। हुआ ऐसा ही, निर्माण कार्य बंद कर भगवान शिव की आराधना शुरू हुई। जब भगवान शिव की इजाजत मिली, तो डुमरांव राज परिवार ने भव्य मंदिर का निर्माण कराया। आज यहां जंगल नहीं है, लेकिन पेड़ पौधे लोगों को सकून देते हैं।