Friday, September 25, 2020

मिथिला में भूमिहार

 🎗️🎗️मिथिला में भूमिहार


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मैथिल कोकिल कवि विद्यापति भूमिहार ब्राह्मण थे

प्रस्तुति अरविन्द रॉय

जो साक्ष्य मिले है वो ये इंगित करते है कि मैथिल कोकिल कवि विद्यापति के पूर्वज भूमिहार ब्राह्मण थे 

कार्जी उपाधि जो भूमिहारों  के मध्य प्रचलित थी विद्यापति के वंशावली मे है आचार्य रमानाथ झा रचनावली मे इस संबंध में उल्लेख है पुस्तक  में लिखा है "विद्यापतिक प्रपितामहभ्राताक मातामह छलथिन्ह माने कार्जि कार्जी सम्प्रति भूमिहार मध्य प्रचलित उपाधि थिक

महाकवि की  पुत्री का विवाह भी दरभंगा के पास किसी भूमिहार ब्राह्मण घर में हुआ था.पंजी व्यवस्था मै उस समय मिथिला के सभी ब्राह्मण शामिल हो गए थे  द्रोणवार ब्राह्मण मजबूत थे उन्होंने ये व्यवस्था नहीं अपनाई

मुस्लिम आक्रमण से त्रस्त होकर विद्यापति ने राजा शिव सिंह की पत्नी लखिमा देवी के साथ नेपाल के भूमिहार ब्राह्मण द्रोणवार पुरादित्य के राज में सरन लिया था विद्यापति रचनावली इसका उल्लेख l उनके समय में बहुत सारे संप्रदाय और मत थे। कोई वैष्णपव था, कोई शैव तो कोई शाक्त । लेकिन महाकवि शिव, विष्णु और शक्ति तीनों की आराधना करते थे।

विद्यापति की दो पत्नियाँ थी |इनकी पहली पत्नी सम्बाला संकारी परिवार की हरवंश शुक्ला की पुत्री थीं |


जिससे एक विद्वान और कवि हरपति ठाकुर और दुसरे नरपति ठाकुर उनके दो पुत्र थे |


दुसरा विवाह उन्होंने खंद्वला कुल के रघु ठाकुर की पुत्री से किया |


इनसे एक पुत्र वाचस्पति ठाकुर और दुल्लाही एक कन्या थी ,जो सुपाणी गंगोली वंश के राम के साथ ब्याही थी |


उनकी पुत्र वधुओं में से एक चन्द्रकला देवी महान कवियित्रियों में से एक थी |

1 comment:

Ayush choudhary said...

any knowledge regarding jalewar bhumihar