1. पश्चिममुखी बजरंगबली।
2. पूर्वामुखी बजरंगबली।
3. दक्षिणामुखी बजरंगबली।
4. उत्तरमुखी बजरंगबली।
राजा टोडरमल के वंशज और पत्रकारिता के युग पुरुष सन्मार्ग अखबार के संपादक अनंदबहादुर सिंह
प्रस्तुति अरविन्द रॉय
श्री सिंह का जन्म 29 अगस्त 1930 (लोलार्कछठ) के दिन हुआ था। वह शुरु से धार्मिक प्रवृत्ति और काशी के गंगो-जमुनी यकजहती के संवाहक थे। उनका श्री संकटमोचन मंदिर के महंत परिवार से ताल्लुकात होने की वजह से उनकी रूचि गोस्वामी तुलसीदास जी में रही। वह रामचरित मानस में जबरदस्त पकड़ रखते थे। इतना ही नही वह काशी के इतिहास के बारे में भी अच्छी जानकारी रखते थे।
श्री सिंह ने अपने पत्रकारिता क्षेत्र में कैरियर वाराणसी के लोकप्रिय सांध्यकालीन अखबार सन्मार्ग से सन् 1952 में जुड़कर की। शुरूआती दौर में संपादक स्व. पं. गंगाशंकर मिश्र के साथ काम शुरु किया और उनसे संपादन के गुर भी सीखे। श्री सिंह धीरे-धीरे अखबार के संपादक नियुक्त हुए तो सन्मार्ग को काफी ऊंचाई तक ले गए। श्री सिंह के पास 65 वर्ष के पत्रकारिता का अनुभव था। सरल स्वभाव के धनी श्री सिंह पत्रकारिता की नर्सरी थे जिसके छत्रछाया में कई दिग्गज पत्रकारों ने कलम चलाना सीखा।श श्री सिंह का एक लड़का विजयबहादुर सिंह और दो लड़की सविता राय और सरिता शर्मा है।
परिवारीजनों की माने तो आनंदबहादुर सिंह स्वतंत्रता संग्राम के वक्त जेल भी भेजे गए थे लेकिन बाद में वह छुटे और अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ आंदोलनों में हिस्सा लिया। हालाँकि जेल जाने का कोई प्रमाण मौजूद नही है। जब देश में सन् जून 1975 में आपातकाल लगा उस वक़्त भी अनंदबहादुर सिंह ने कलम को अपना हथियार बनाया था। 2-7-17 को उनके निधन पर जिला प्रशासन की ओर से एसपी सिटी दिनेश सिंह ने पुष्प चक्र अर्पित किया। शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज ने पत्र भेजकर शोक संवेदना जताई।
Address:-🎗️🎗️राजा टोडरमल जी वंशज🎗️🎗️
भूमिहार ब्राह्मण जमींदार आधुनिक काशी के निर्माता
भदैनी की पूर्वी सीमा तुलसी घाट से शुरू होती है घाट के किनारे के तीन परिवार सबसे पहले महंथ जी का परिवार उनके बगल में पं कशी नाथ पाण्डेय (कर्मकांडी ) जी का परिवार और जानकी घाट पर शाही जी का परिवार
प्रस्तुति अरविन्द रॉय
अखाड़े के बगल में वीरमणी उपाध्याय जी का परिवार प्रिया नाथ पाण्डेय जी का परिवार और उनके सामने महिषासुर मर्दिनी मंदिर से सटा शांति प्रिय द्विवेदी (मुछ्छ्न) जी l राम नाथ पाण्डेय जी का परिवार l
अब यहाँ से लोलार्क कुण्ड शुरू हो जाता है इसके इर्द गिर्द रहने वाले परिवारों में ओजस्वी पं राजेन्द्र प्रसाद द्विवेदी का परिवार मन्नन पति त्रिपाठी जी का परिवार डा काशी नाथ सिंह जी का परिवार पं.ब्रम्ह शंकर शुक्ला और पं. विश्व शंकर शुक्ला जी का जिनको नेपाल का होने के कारण नेपाली चाची के नाम से भी जाना जाता था
लोलार्क कुण्ड से पश्चिम मुख्य सड़क की ओर बढ़ने पर दायें बाएं दो तिवारी परिवार थे बांये तरफ मकरिया तिवारी का परिवार था l और दांयी तरफ विजयानंद तिवारी जी का परिवार थाl थोड़ा और आगे बढ़ने पर था पं. विश्वनाथ त्रिपाठी जी का परिवार और अब हम आ जाते हैं मुख्य सड़क पर लेकिन लोलार्क कुण्ड से एक और रास्ता सड़क पर आता थाl तब इसे छोटकी गल्ली के नाम से जाना जाता था l अब शायद नवदुर्गा की गली के नाम से जाना जाता है l इसी गली में राम हल्ला का प्राचीन मंदिर हैl नवदुर्गा का मंदिर है l गली के इस छोर पर मुन्नर पंडा जी का परिवार है l अब हम लंका गोदौलिया के मुख्य मार्ग पर आ गएl रविन्द्र पूरी कालोनी जो तब नयी कालोनी थी की सड़क के खुलने से पहले यही सड़क मुख्य मार्ग होता था l
अब भदैनी के उत्तर और दक्षिण छोर के परिवारों परिवारों से परिचित होते हैं लोलार्क कुण्ड से उत्तर में पानी कल के उस पार भटेले कोठी में डा. श्याम तिवारी, वैद्य जी का परिवार और पानिकल के उसपार रामभद्र उपाध्याय जी का परिवार मुरारी शर्मा जी का परिवार l कविवर जगदीश मिश्र जी का प्रेस जहां वो अपने जीवन का आधा समय बिताते थेl इसी गली में मानस कथा वाचक श्री नाथ जी का भी निवास था l राम भद्र उपाध्याय जी का परिवार और जानकी घाट पर शाही जी का परिवारl
हाँ अब सड़क के दुसरे तरफ चलते हैं, पं.बद्री प्रसाद शुक्ल जी का परिवार राजा राम यादव जी का परिवार आचार्य मधुसुदन शास्त्री जी का परिवार गंगेश्वर झा जी का परिवार राजेश्वर आचार्य जी का परिवार डा. गिरिवर सिंह जी का परिवार और उनके बाद है,राजा टोडरमल जी वंशज श्री आनंद बहादुर सिंह जी का परिवार शिवनाथ साव जी का परिवार
1 comment:
शानदार प्रस्तुति
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