🎗️🎗️महान भूमिहार ब्राह्मण सम्राट अग्निमित्र🎗️🎗️
मालविकाग्निमित्रम् कालिदास की पहली रचना है, जिसमें राजा अग्निमित्र की कहानी है।
प्रस्तुति अरविन्द रॉय
अग्निमित्र एक निर्वासित नौकर की बेटी मालविका के चित्र के प्रेम करने लगता है। जब अग्निमित्र की पत्नी को इस बात का पता चलता है तो वह मालविका को जेल में डलवा देती है। मगर संयोग से मालविका राजकुमारी साबित होती है द्वितीय शुंग शासक अग्निमित्र को नायक बनाकर मालविकाग्निमित्रम् नाटक लिखा और अग्निमित्र ने १७० ईसापू्र्व में शासन किया था
रूहेलखंड से मिले कुछ सिक्कों पर अग्निमित्र के नाम खुदे हैं।
2100 वर्ष पूर्व मौर्य के सिक्के हटा कर अग्निमित्र ने अपने सिक्के चलाए। शिव का धार्मिक चिन्ह अंकित किया।महारानी धारिणी के जेष्ठ पुत्र वशुमित्र को भी राज्य संचालन का भार देते है बाद में जब वशुज्येष्ठ राजा बनते है तो वशुमित्र गोप्ता बनाये जाते है वशुज्येष्ठ शुंग ने अपना साम्राज्य तिब्बत तक फैलाया और तिब्बत भारत का अंग बन गया। वो बौद्धों को भगाता चीन तक ले गया। वहां चीन के सम्राट ने अपनी बेटी की शादी वशुज्येष्ठ से करके सन्धि की। उनके वंशज आज भी चीन में “शुंग” surname ही लिखते हैं। और बाद में जब वशुमित्र राजा बने तो उन्होंने अपने साम्राज्य को और विस्तृत किया
No comments:
Post a Comment