Sunday, May 12, 2019

उत्तर प्रदेश के बलिया जनपद के हल्दी क्षेत्र के राजा का साम्राज्य बिहार तक फैला हुआ था. बिहियां की लड़ाई में राजा खेत रहे. रानी अपनी बांदी के साथ गंगा पार कर बलिया के हल्दी राज्य में आ गईं . रानी गर्भवती थीं. चक्रपाणि ओझा ने उन्हें आश्रय दिया. चारो तरफ खबर फैल गई कि राजा का बीज सुरक्षित है. बिहार और उत्तर प्रदेश के राजपूत लामबन्द होने लगे. तभी चैरो बंश के राजा ने हल्दी पर चढ़ाई कर दी. चक्रपाणि ओझा व शूलपाणि ओझा की कूटनीति से चैरो वंश के राजा व उसकी सेना को सोमरस पिला धुत कर दिया. उसके बाद लामबन्द राजपूतों ने भयंकर मार काट मचाई. चैरो बंश का नाश हो गया. नियत समय पर रानी ने एक सुन्दर बच्चे को जन्म दिया. जब तक बच्चा बड़ा नहीं हो गया तब तक उसके संरक्षक के तौर पर शूलपाणि ओझा ने राज काज सम्भाला. जब राजकुमार बड़े हुए तब उनका राज्याभिषेक हुआ. राजकुमार ने खुश हो उस क्षेत्र के पूरे ओझा वंश को 52 गांव दान में दे दिए. ये लोग 52 गांव के ओझा कहलाए .तभी से उस क्षेत्र में एक कहावत प्रचलित हुई, “पहले ओझा, तब राजा ” . 52 गाँव के ओझा कालरात्रि देवी (दुर्गा का एक रूप) की पूजा करते हैं. इनका गोत्र कश्यप होता है.

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