गुप्तयुगक पछाति एवँ कर्णाटवंशक उत्थान धरि वर्णाश्रम धर्मक प्रधानता बनले रहल आ ठाम–ठाम कठोर सेहो भेल। स्मृतिकार लोकनिक रचनासँ एकर भान होइछ। अनुलोम–प्रतिलोमक फले अनेको वर्णशंकर उपजाति आदिक विकास भेल। असत् शूद्र अंत्यजक नामसँ पाँचम वर्णमे परिगणित भेल। एहियुगमे पंचगौड़क कल्पना सेहो साकार भेल आ पंचगौड़ ब्राह्मणक सूत्रपात सेहो ब्राह्मण लोकनि दोसरो वर्णक जीविकाकेँ अपनौलन्हि। यज्ञक संगहि संग ओ लोकनि मूर्त्तिपूजा आ पुरोहिताइक पेशा सेहो अपनौलन्हि। ब्राह्मण लोकनि सेनापतिक काजमे सेहो निपुण होमए लगलाह। पालवंशक अधीन बहुतो ब्राह्मण सेनापति रहैथ जकर उल्लेख पाल अभिलेखमे अछि। एहियुगमे ब्राह्मण लोकनिकेँ प्रचुर मात्रामे खेत दानमे भेटल छलन्हि आ ओ लोकनि पैघ–पैघ सामंत भेल छलाह आ जमीनकेँ दोसराक हाथे खेती करबाय ओ लोकनि अपन सामंत प्रदत्त राजनैतिक अधिकारक सुरक्षामे व्यस्त रहैत छलाह। ब्राह्मण–क्षत्रिय आब खेतियो दिसि भीर गेल छलाह।
Monday, August 5, 2019
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