बगहा (पश्चिमी चंपारण), बिहार से प्राप्त यह ताम्रपत्र-अभिलेख अबतक प्राप्त भारत के प्राचीनतम ताम्रपत्रों में से एक है. यह लेख 33 पंक्तियों में अंकित है. ताम्रपत्र का आकार 39.8 से.मी. (चौड़ाई) x 38.5 (लम्बाई) है. संस्कृत भाषा का यह अभिलेख देवनागरी की प्राचीन शैली में लिखा गया है. लेख की दो पंक्तियां पत्र के पीछे अंकित हैं. यह ताम्रपत्र राजा सूर्यादित्य द्वारा प्रदत्त है जो राजा माल्यकेतुके वंशज थे. ताम्रपत्र के लेख से ज्ञात होता है कि दानकर्ता राजा सूर्यादित्य के पिता का नाम राजा हंसराज और पितामह का नाम राजा हेलाराज वाराह था. पत्र में राजा द्वारा यशादित्य नाम के ब्राह्मण को वनपल्ली नामक ग्राम के दान में दिये जाने का उल्लेख है. ताम्रपत्र के अनुसार यह वनपल्ली ग्राम, व्यालिसी-विषय नामक क्षेत्र और दर्द-गण्डकी मंडल के अंतर्गत स्थित बताया गया है. ब्राह्मणयशादित्य को सावर्णय गोत्र में उत्पन्न, वात्ठो का पुत्र औरअडवी का पौत्र बताया गया है. ये उसीय नाम के ग्राम के वासी और चेल नामक ग्राम के मूल निवासी थे.[1][2]
दान की तिथि का उल्लेख, शुक्रवार, चैत्र शुक्लपक्ष चतुर्दशी तिथि, 1077 विक्रम संवत है, जो अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 11 मार्च 1020 ईस्वी की तारीख है.
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