Tuesday, April 23, 2019

 👑👑ब्राह्मण और राजसत्ता👑👑
 भगवान परशुराम जैसी जीवनशैली हमारा आदर्श हो
राजा निरंकुश हो जाए, सत्ता भोगी हो जाए,जहां कुछ गलत  तब  ऐसे लोगों  और सत्ता के खिलाफ   ब्राह्मण को सक्रिय हस्तक्षेप करने का अधिकार है
प्रस्तुति अरविन्द रॉय
हस्तक्षेप जन जागरणऔर आवश्यकता पड़ने पर अन्य तरीकों से हो सकता है ब्राह्मण शिरोमणि पुष्पमित्र सुंग ने भी यही किया धर्म परायण राजा का साथ और धर्म विरोधी राजा का नास जाति भेद के आधार पर  छुआ छूत भारत में नहीं थी मुस्लिम आक्रमण कारियों से डरकर, लालच
 में   मूल पुस्तकों के साथ कुछ ब्राह्मणों ने छेड़छाड़ की  l ब्राह्मणों के आदर्श भगवान परशुरामजी ने किया, वह आज हम सबके लिए सबक है कि अपनी योग्यता का उपयोग हर उस जगह पर जरूर करिए जहां कुछ गलत हो रहा हो। जैसे पूजाकर्म में समपर्ण जरूरी है, ऐसे ही सत्ताधर्म में समझ आवश्यक है।  भगवान परशुराम राजा नहीं थे लेकिन, सत्ताका क्या धर्म होता है, उन्हें यह समझ उस दौर के अच्छे-अच्छे राजाओं से अधिक थी। चार बड़े काम परशुराम कर गए। जाति भेद मिटाया, गलत सत्ता से संघर्षकरना सिखाया, परिवार की बिल्कुल नई परिभाषा दी तथा आचरण में अनुशासन का क्या महत्व है, यह इसी चरित्र ने समझाया था। वे ब्राह्मण थे, लेकिन समूची मनुष्यता के लिए कुछ ऐसे संदेश दे गए कि ब्राह्मण न सिर्फ जाति, बल्कि एक जीवनशैली बन गई। परशुराम जैसी जीवनशैली आज हर उस ब्राह्मण के लिए जरूरी है, जो अपने मनुष्य होने पर गर्व करना चाहता है और जो सामाजिक व राष्ट्रीय जीवन में विशेष भूमिका निभाते हुए उसे कुछ अच्छा देना चाहता है।

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