ब्राह्मणों को अपना दुश्मन बोलने बाले और उन्हें समाज को बांटने का आरोप लगाने वाले जरा दिमाग का भी प्रयोग करे ।
" मनोज झा " राजद "सतीष चन्द्र मिश्रा"बसपा राज्यसभा सांसद /कन्हया कुमार/ ममता बैनर्जी etc ब्राह्मण है या नही ?
या फिर व जातीपरिवर्तन कर मूलनिवासी हो गए है । सम्पूर्ण भारत मे 5% भी ब्राह्मण नही है । और पूजा श्राद्ध आदि कर्म का निष्पादन करने वाला ब्राह्मण .01%भी नही है/
शुलभ शौचालय आदि पर भी ब्राह्मणों को नॉकरी करते देखा हूँ मै / एक गरीब ब्राह्मण था , यह कहानी ही पढ़ा है/एक जमींदार अत्याचारी ब्राह्मण था कह कर कोई कहानी भी नही सुनी है हम ने/
कर्म आधारित वर्ण व्यवस्था उस अर्थव्यवस्था के लिए जरूरी था जब वस्तु विनमय से समाज संचालित हुवा करता था । उस कृषिकाल के दौर में कर्म का जाती में परिवर्तित हो जाना समाज का स्वभाविक लक्षण रहा होगा / अगर महाभारत और रामायण का अध्यन करे तो यादव समाज भी क्षत्री वंसी है ।
धर्म के लिए समाज का होना जरूरी नही है , किन्तु समाज के लिए धर्म जरूरी है । अगर पाप पुण्य का भाव मनुष्य के अन्तः मन से समाप्त हो जाए तो , सायद ही कोई मानव मानव रह जाए ।
वामपंथी/दलित चिन्तक/समाजवादी क्यू मुट्ठी भर ब्राह्मण के विरुद्ध लड़ रहे है ? जब कि समाज का शोषण हर दौर में सामंती और जमींदार लोग किया करते थे , औऱ उनमें ब्राह्मणों कि संख्या बहुत नगण्य रहा है ।
तो क्या वाकई दलित पिछड़े का दुश्मन सिर्फ ब्राह्मण है ?
जो लोग ब्राह्मणों पर जाती बटवारे का आरोप लगाते है , उन्हें एक बार ब्राह्मणों के बीच जातीयो कि जानकारी गूगल करना चाहिए । ब्राह्मणों में भी कई जाती है , और उन में भी ऊंच नीच श्रेणी है । जो आपस मे विवाह सम्बन्ध नही करते । वैद ब्राह्मण से गौस्वामी ब्राह्मण का विवाह नही होता । महापात्रा ब्राह्मण को ब्राह्मण समाज और अन्य समाज भी पूज्य मानते है किन्तु उनको भी अन्य ब्राह्मण समाज अपने बीच का नही मानते और विवाह सम्बन्ध भी नही करते । मैथिल और कान्यकुब्ज ब्राह्मण में भी विवाह सम्बन्ध नही होता । यानी अगर जाती में बांटने का कार्य कोई एक व्यक्ति कोई ब्राह्मण ने किया होता तो वह खुद को नही बांटता । जाती का निर्माण वस्तु विनिमय आधारित अर्थव्यवस्था से ही हुवा है । जिस प्रकार आज समाज मे जाती आधारित आरक्षण से समाज मे कई वर्ग का निर्माण हुआ है । गांव में बहुतो लोग मिलेंगे जो अपना परिचय , sc/st/दलित /महादलित/पिछड़ा /अतिपिछड़ा/स्वर्ण आदि के नामो से देता है । कालांतर में यह एक वर्ग के रूप में ही दिखेगा ।
कर्म के अनुसार ही व्यक्ति का सम्मान देने का प्रारूप आपको कही भी किसी भी समाज मे देखने को मिल जाएगा । अगर कोई युवा जिला पदाधिकारी है तो ऑफिस में जो भी व्यक्ति होगा उस युवा को प्रणाम आदि शब्दो से सम्मानित करेगा । उस वक्त उम्र का ख्याल नही किया जाता ।
जब हम कोई पूजा या अनुष्ठान करते है तो किसी योग्य व्यक्ति को बुलाते है जो इस पूजा के विधान को जानता है और मुझे पूजा करने के विधी बताता है । उस वक्त वह व्यक्ति कोई युवा नही होता अपितु वह एक उस्ताद/मास्टर/पथदर्शक आदि होता है । पूजा या आराधना को श्रद्धा से देखा जाता है और इस कर्म को लोग श्रेष्ठ मानते है । जो इस कर्म का निष्पादन करवाता है वह स्वतः श्रेष्ठ हो जाता है ।
बहुत मन्दिर में और मठो में आज अन्य जाती के लोग भी इस कर्म को करवाते है , उन्हें भी लोग इसी सम्मान से देखता है । मैं ने महर्षि मेही के अनुयायी संतो को भी देखा है जो युवा है और बुजुर्ग भी उन्हें प्रणाम करता है । अगर चाहे तो हम फोटो दे सकते है । आशाराम बापू/राम रहीम /रामपाल यादव जी आदि ब्राह्मण नही है किन्तु उनके फॉलोवर भी अपने उम्र का ख्याल किये बिना उन्हें प्रणाम करते है ।
ब्राह्मणों पर ही क्यू सभी वार करते है ?अती पिछड़े समाज से आने वाले नरेंदमोदी जी को ब्राह्मणवादी क्यू कहा जा रहा और मनोज झा/सतीष चंद्र मिश्रा को दलित हितेषी क्यू साबित किया जा रहा है ?
देश के राजनीति को समझेंगे तो इसका उत्तर मिल जाएगा ।
एक तरफ एक दल हिन्दू-हिन्दुत्व के नाम पर वोट बैंक बनाना चाहते है । दूसरी तरफ मुस्लिम वोट बैंक के मालिक को पता है कि जाति में बटे हिन्दू ही उनको सत्ता दिलवा सकता है । इनके लिए ब्राह्मण किसी जाति का नाम नही है अपितु हिन्दू-सनातन मानसिकता से है/अगर सनातनी टुकड़े में रहेंगे तो सत्ता आसानी से भोगा जा सकता है/ जो लोग ए सोचते है मायावती जी और लालूप्रसाद जी ब्राह्मण जाती विरोधी है तो व गलत है । ए लोग सनातन एकता विरोधी है । ब्राह्मण के विरुद्ध सभी जाती को उकसाना बास्तव में सनातन पद्द्यति के विरुद्ध उकसाना है । जब आप ब्राह्मण से घृणा करने लगेंगे तो स्वतः ही सनातन मान्यता के विरुद्ध भी लड़ने लगेंगे । आज तक के सभी समाज सुधारक ने सामाजिक कुरुति के विरुद्ध लड़ा ए लोग ब्राह्मण के विरुद्ध क्यू लड़ रहे ?
साजिश को समझे । घृणा नही आपस मे प्रेम करे । कुरुति के विरुद्ध लड़े , अपने जड़ को न काटे ।
राजनीतिक दल कभी मुस्लिम समाज मे वर्गीकरण कर उनका चर्चा नही करते क्यू ?
" मनोज झा " राजद "सतीष चन्द्र मिश्रा"बसपा राज्यसभा सांसद /कन्हया कुमार/ ममता बैनर्जी etc ब्राह्मण है या नही ?
या फिर व जातीपरिवर्तन कर मूलनिवासी हो गए है । सम्पूर्ण भारत मे 5% भी ब्राह्मण नही है । और पूजा श्राद्ध आदि कर्म का निष्पादन करने वाला ब्राह्मण .01%भी नही है/
शुलभ शौचालय आदि पर भी ब्राह्मणों को नॉकरी करते देखा हूँ मै / एक गरीब ब्राह्मण था , यह कहानी ही पढ़ा है/एक जमींदार अत्याचारी ब्राह्मण था कह कर कोई कहानी भी नही सुनी है हम ने/
कर्म आधारित वर्ण व्यवस्था उस अर्थव्यवस्था के लिए जरूरी था जब वस्तु विनमय से समाज संचालित हुवा करता था । उस कृषिकाल के दौर में कर्म का जाती में परिवर्तित हो जाना समाज का स्वभाविक लक्षण रहा होगा / अगर महाभारत और रामायण का अध्यन करे तो यादव समाज भी क्षत्री वंसी है ।
धर्म के लिए समाज का होना जरूरी नही है , किन्तु समाज के लिए धर्म जरूरी है । अगर पाप पुण्य का भाव मनुष्य के अन्तः मन से समाप्त हो जाए तो , सायद ही कोई मानव मानव रह जाए ।
वामपंथी/दलित चिन्तक/समाजवादी क्यू मुट्ठी भर ब्राह्मण के विरुद्ध लड़ रहे है ? जब कि समाज का शोषण हर दौर में सामंती और जमींदार लोग किया करते थे , औऱ उनमें ब्राह्मणों कि संख्या बहुत नगण्य रहा है ।
तो क्या वाकई दलित पिछड़े का दुश्मन सिर्फ ब्राह्मण है ?
जो लोग ब्राह्मणों पर जाती बटवारे का आरोप लगाते है , उन्हें एक बार ब्राह्मणों के बीच जातीयो कि जानकारी गूगल करना चाहिए । ब्राह्मणों में भी कई जाती है , और उन में भी ऊंच नीच श्रेणी है । जो आपस मे विवाह सम्बन्ध नही करते । वैद ब्राह्मण से गौस्वामी ब्राह्मण का विवाह नही होता । महापात्रा ब्राह्मण को ब्राह्मण समाज और अन्य समाज भी पूज्य मानते है किन्तु उनको भी अन्य ब्राह्मण समाज अपने बीच का नही मानते और विवाह सम्बन्ध भी नही करते । मैथिल और कान्यकुब्ज ब्राह्मण में भी विवाह सम्बन्ध नही होता । यानी अगर जाती में बांटने का कार्य कोई एक व्यक्ति कोई ब्राह्मण ने किया होता तो वह खुद को नही बांटता । जाती का निर्माण वस्तु विनिमय आधारित अर्थव्यवस्था से ही हुवा है । जिस प्रकार आज समाज मे जाती आधारित आरक्षण से समाज मे कई वर्ग का निर्माण हुआ है । गांव में बहुतो लोग मिलेंगे जो अपना परिचय , sc/st/दलित /महादलित/पिछड़ा /अतिपिछड़ा/स्वर्ण आदि के नामो से देता है । कालांतर में यह एक वर्ग के रूप में ही दिखेगा ।
कर्म के अनुसार ही व्यक्ति का सम्मान देने का प्रारूप आपको कही भी किसी भी समाज मे देखने को मिल जाएगा । अगर कोई युवा जिला पदाधिकारी है तो ऑफिस में जो भी व्यक्ति होगा उस युवा को प्रणाम आदि शब्दो से सम्मानित करेगा । उस वक्त उम्र का ख्याल नही किया जाता ।
जब हम कोई पूजा या अनुष्ठान करते है तो किसी योग्य व्यक्ति को बुलाते है जो इस पूजा के विधान को जानता है और मुझे पूजा करने के विधी बताता है । उस वक्त वह व्यक्ति कोई युवा नही होता अपितु वह एक उस्ताद/मास्टर/पथदर्शक आदि होता है । पूजा या आराधना को श्रद्धा से देखा जाता है और इस कर्म को लोग श्रेष्ठ मानते है । जो इस कर्म का निष्पादन करवाता है वह स्वतः श्रेष्ठ हो जाता है ।
बहुत मन्दिर में और मठो में आज अन्य जाती के लोग भी इस कर्म को करवाते है , उन्हें भी लोग इसी सम्मान से देखता है । मैं ने महर्षि मेही के अनुयायी संतो को भी देखा है जो युवा है और बुजुर्ग भी उन्हें प्रणाम करता है । अगर चाहे तो हम फोटो दे सकते है । आशाराम बापू/राम रहीम /रामपाल यादव जी आदि ब्राह्मण नही है किन्तु उनके फॉलोवर भी अपने उम्र का ख्याल किये बिना उन्हें प्रणाम करते है ।
ब्राह्मणों पर ही क्यू सभी वार करते है ?अती पिछड़े समाज से आने वाले नरेंदमोदी जी को ब्राह्मणवादी क्यू कहा जा रहा और मनोज झा/सतीष चंद्र मिश्रा को दलित हितेषी क्यू साबित किया जा रहा है ?
देश के राजनीति को समझेंगे तो इसका उत्तर मिल जाएगा ।
एक तरफ एक दल हिन्दू-हिन्दुत्व के नाम पर वोट बैंक बनाना चाहते है । दूसरी तरफ मुस्लिम वोट बैंक के मालिक को पता है कि जाति में बटे हिन्दू ही उनको सत्ता दिलवा सकता है । इनके लिए ब्राह्मण किसी जाति का नाम नही है अपितु हिन्दू-सनातन मानसिकता से है/अगर सनातनी टुकड़े में रहेंगे तो सत्ता आसानी से भोगा जा सकता है/ जो लोग ए सोचते है मायावती जी और लालूप्रसाद जी ब्राह्मण जाती विरोधी है तो व गलत है । ए लोग सनातन एकता विरोधी है । ब्राह्मण के विरुद्ध सभी जाती को उकसाना बास्तव में सनातन पद्द्यति के विरुद्ध उकसाना है । जब आप ब्राह्मण से घृणा करने लगेंगे तो स्वतः ही सनातन मान्यता के विरुद्ध भी लड़ने लगेंगे । आज तक के सभी समाज सुधारक ने सामाजिक कुरुति के विरुद्ध लड़ा ए लोग ब्राह्मण के विरुद्ध क्यू लड़ रहे ?
साजिश को समझे । घृणा नही आपस मे प्रेम करे । कुरुति के विरुद्ध लड़े , अपने जड़ को न काटे ।
राजनीतिक दल कभी मुस्लिम समाज मे वर्गीकरण कर उनका चर्चा नही करते क्यू ?
No comments:
Post a Comment