अनेक जातियों की वर्णगत स्थिति अनिश्चित है। उत्तर भारत में जाट, गूजर, अहीर आदि क्षत्रिय होने का दावा करते हैं और कायस्थ जाति के वर्ण के विषय में अनेक धारणाएँ हैंब्राह्मण जातियाँ है जिनमें स्वयं एक जाति दूसरी जाति का कच्चा भोजन स्वीकार नहीं करती और न एक पंक्ति में बैठकर भोजन कर सकती है। ब्राह्मणों को कुछ जातियाँ इतनी निम्न मानी जाती हैं कि उच्चजातीय ब्राह्मणों से उनकी कभी कभी सामाजिक दूरी बहुत कुछ उतनी ही होती है। जितनी उच्च ब्राह्मण जाति और किसी शूद्र जाति के बीच होती हैहिंदू समाज में भोजन संबंधी एक जातीय आचार यह हे कि कच्चा भोजन अपनी जाति के हाथ का ही स्वीकार्य होता है। दूसरी परंपरा यह है कि ब्राह्मण के हाथ का भी कच्चा भोजन ग्रहण किया जाता है। तीसरी परंपरा यह है कि अपने से सभी ऊँची जातियों के हाथ का कच्चा भोजन स्वीकार किया जाता है। सभी जातियाँ पहली परंपरा में हैं और अन्य जातियाँ सामान्यत: बाद के नियमों का अनुसरण करती हैं।
Monday, April 1, 2019
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