Sunday, July 28, 2019

व्याघ्रसर (बक्सर) और गाधिपुरी (गाजीपुर) के बीच गंगा के प्रवाह ने लगातार अपनी दिशा बदली है। इस क्रम में न जाने कितने गांवों को अपने मूल स्थान से हटकर दूसरी जगह विस्थापित होना पड़ा है तो कई गांवों को अपनी पहचान ही नए सिरे से स्थापित करनी पड़ी। आज हमलोग अपनी आंखों के सामने 'सेमरा' गांव को गंगा की धारा में समाते हुए देख रहे है। कुछ ऐसा ही हुआ था एक जमाने में कुंडेसर गांव के साथ। लेकिन कुंडेसर के साथ उल्टा हुआ था। जो गांव शेरशाह के जमाने में गंगा के किनारे बसा था उस कुंडेसर को छोड़ती हुई गंगा मुगलकाल में काफी दूर बहने लगी जहां बीच के उपजाऊ इलाके को 'सकरवार वंश' ने शेरपुर गांव समूह को बसाकर आबाद किया। 'श्री पोथी बंशाउरी' (किनवार वंशावली) में लिखा है... नारायेन सुत चारी प्रथम 'माधो' कही गायो, सुर सरिता तट ग्राम कुंडेसरि नाम कहायो.... Note : नारायण शाह (नारायणपुर) के ज्येष्ठ पुत्र बाबू माधव राय जी (शेरशाह के समकालीन) ने कुंडेसर गांव को बसाया था। | 

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