ब्राह्मण राजवंश
नादीया रियासत (पश्चिम बंगाल )
पश्चिम बंगाल स्थित # नादीया_राज जिसके प्रथम राजा # भट्ट_भटनारायण थे
इनके पूर्वज # क्णौज से मगह की ओर आय और मगह मे बड़ी-बड़ी जमींदारियां और राजवंश दिए जो की एक समय सब ब्राह्मण राजघराने ने # भूमिहार_विशेषण लेना प्रारम्भ कर दिया और बाहर से
# चीत्तपावन_ब्राह्मणों का बड़ा दल आज बिहार मे # भूमिहार_है ।
# मगह के राजाओं द्वारा चुना गया
# योधा # सैनिकब्राह्मणों का बड़ा गुट यानी # भूमिहार_ब्राह्मण # औरंगजेब से परेशान होकर # पश्चिम_बंगाल की ओर बढे ओर वहा वो # _कुलीन_ब्राह्मण से जाने जाते है ।जब अंग्रेजों ने #भूमिहार_ब्राह्मण को रेजीमेंट मे रोक लगा दिया तो इन
# भूमिहार_ब्राह्मणों ने वहा खुद को
# भूमिहार बोलना बँद करके भूमिहार जैसा ही # कुलीन विशेषण को धारण किया चुकी यह मगह से #भूमिहार परिवार के हिस्से रहे इनके सारे गोत्र वही है जो मूलतः मगह के भूमिहार के इनमें बस 5गोत्र है (कश्यप ,वत्स ,सोवर्नीया ,भारद्वाज,शान्डिल्य) इन्होने खुद को कुलीन बोलना प्रारम्भ किया परंतु अपनी शादी विवाह #भूमिहार_ब्राह्मणों से ही करते रहे इनके दो हिस्से हुए एक # राधि ब्राह्मण और दूसरा # बारेँद्र ब्राह्मण
# नादीया राजवंश ने अपने #भूमिहार_ब्राह्मण परम्परा द्वारा संस्कृति के विकास पर बहूत जोर दिया ।काशी राजा इन्हे फ़िर से खुद को
भूमिहार_ही सम्बोधन पर आमंत्रित किया किसी कारणवश इन्होने उस सम्बोधन को धारण नहीँ किया परंतु अपने रिश्ते हमेसा इनसे ही जोड़े रखा ।
राजपूत_बेशक बडे राजा रहे हो परंतु संस्कृति का विकास ब्राह्मण राजवंशों (भूमिहार ब्राह्मण )ने ही सबसे अधिक करवाया ।
पश्चिम_बंगाल मे आधे से अधिक वैदिक संस्कृत विद्यालय इसी राजवंश से रहे है ।इन्होने बडे बडे मंदिरों का निर्माण करवाया है वहा ।
नादीया रियासत (पश्चिम बंगाल )
पश्चिम बंगाल स्थित # नादीया_राज जिसके प्रथम राजा # भट्ट_भटनारायण थे
इनके पूर्वज # क्णौज से मगह की ओर आय और मगह मे बड़ी-बड़ी जमींदारियां और राजवंश दिए जो की एक समय सब ब्राह्मण राजघराने ने # भूमिहार_विशेषण लेना प्रारम्भ कर दिया और बाहर से
# चीत्तपावन_ब्राह्मणों का बड़ा दल आज बिहार मे # भूमिहार_है ।
# मगह के राजाओं द्वारा चुना गया
# योधा # सैनिकब्राह्मणों का बड़ा गुट यानी # भूमिहार_ब्राह्मण # औरंगजेब से परेशान होकर # पश्चिम_बंगाल की ओर बढे ओर वहा वो # _कुलीन_ब्राह्मण से जाने जाते है ।जब अंग्रेजों ने #भूमिहार_ब्राह्मण को रेजीमेंट मे रोक लगा दिया तो इन
# भूमिहार_ब्राह्मणों ने वहा खुद को
# भूमिहार बोलना बँद करके भूमिहार जैसा ही # कुलीन विशेषण को धारण किया चुकी यह मगह से #भूमिहार परिवार के हिस्से रहे इनके सारे गोत्र वही है जो मूलतः मगह के भूमिहार के इनमें बस 5गोत्र है (कश्यप ,वत्स ,सोवर्नीया ,भारद्वाज,शान्डिल्य) इन्होने खुद को कुलीन बोलना प्रारम्भ किया परंतु अपनी शादी विवाह #भूमिहार_ब्राह्मणों से ही करते रहे इनके दो हिस्से हुए एक # राधि ब्राह्मण और दूसरा # बारेँद्र ब्राह्मण
# नादीया राजवंश ने अपने #भूमिहार_ब्राह्मण परम्परा द्वारा संस्कृति के विकास पर बहूत जोर दिया ।काशी राजा इन्हे फ़िर से खुद को
भूमिहार_ही सम्बोधन पर आमंत्रित किया किसी कारणवश इन्होने उस सम्बोधन को धारण नहीँ किया परंतु अपने रिश्ते हमेसा इनसे ही जोड़े रखा ।
राजपूत_बेशक बडे राजा रहे हो परंतु संस्कृति का विकास ब्राह्मण राजवंशों (भूमिहार ब्राह्मण )ने ही सबसे अधिक करवाया ।
पश्चिम_बंगाल मे आधे से अधिक वैदिक संस्कृत विद्यालय इसी राजवंश से रहे है ।इन्होने बडे बडे मंदिरों का निर्माण करवाया है वहा ।
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