Friday, September 21, 2018

सारस्वत प्रदेश के रहने वाले पराशर गोत्रीय ब्राहमण........ इनके पूर्वज प० जगन्नाथ दीक्षित मिथिला में आकर एकसर में बसे.................. जमींदारियां कई रहीं उनमें प्रमुख गोरिया कोठी |
काश्यप गोत्रीय जैथरिया मूल के ब्राह्मण................. ये कश्मीर के जैस्थल के रहने वाले हुए...... इनके पूर्वज गंगेश्वर देव निमखर मिश्री, लखनऊ से आकर............
........................ पश्चमी चंपारण के जैथर नामक गाँव में बसे और जैथारिया कहलाये..... कृपया ध्यान दें मुख्यतः जैस्थल के नाम पर ही गाँव का नाम जैथर पड़ा................................ प्रमुख जमींदारी – बेतिया राज |
काश्यप गोत्रीय भेलौरिया मूल के ब्राह्मण...... वास्तव में ये कश्मीर मूल के ब्राह्मण हैं............... लेकिन इनके पूर्वज भूपान भट्ट............. तीर्थ भ्रमण के वास्ते................ महाराष्ट्र से आकर यहाँ जहानाबाद के....... भेलावर परगना में बसे...... यहाँ बसने की वजह से भेलौरिया मूल कहलाया... आज जिस धरती पर हमारा यह कार्यशाला हो रहा है....... यह सौभाग्य की बात है की यह वही भेलावर की पावन धरती है | प्रमुख जमींदारी १) भेलावर २) ओकरी
काश्यप गोत्रीय जुझौतिया ब्राह्मण.......
... बुन्देलखंड के जुझौती प्रदेश में....... मूल निवास होने की वजह से जुझौतिया मूल के कहलाये |
कर्णाटक के पदमपुर से कश्यप गोत्रीय किनवार ब्राह्मण...... उत्तर प्रदेश के कानपुर के निकट मदरापुर स्थित....... ओकनी नदी के किनारे सर्वप्रथम आकर बसे............. किनवार शब्द की उत्त्पत्ति को लेकर.............. अनेकों विद्वानों के अलग अलग राय हैं...... किनवार पर मेरा एक अलग ही शोध है..... विशेष जानने के लिए...... आप समय ले सकते हैं........... सभा में उपस्थित हूँ |
तमिल देशीय हारीत गोत्रीय ब्राह्मण.................... ये लोग गया जिले के वजीरगंज के आसपास के.............. कई गाँव में बसे हुए हैं |
महाराष्ट्र के चित्पावन मूल के कौण्डिन्य गोत्रीय ब्राह्मण...... इनके पूर्वज न्याय भट्ट हुए........ जो श्राद्ध करने हेतु पधारे थे और यहीं बस गए........ पटना जिले के आसपास के कई गाँव और मिथिला के इलाके में बसे हुए हैं...................... जुड़ी हुई दो प्रमुख जमींदारी १) भरतपुरा राज २) धरहरा राज
महाराष्ट्र के चित्पावन मूल के विष्णु वृद्ध गोत्रीय ब्राह्मण........ इनके पूर्वज प० जालभट्ट..... प० बालभट्ट .......... प० जालभट्ट संथाल परगना तथा प० बालभट्ट गिरिडीह के धनवार में जा कर बस गए इन भाइयों से जुड़ी हुई दो प्रमुख जमींदारी रही
१) बभनगावां राज २) धनवार राज
आपलोगों ने अक्सर सुना होगा सरयूपारी ब्राह्मण...... सनाढ्य ब्राह्मण...... जुझौतिया ब्राह्मण इत्यादि.......... वास्तव में ये क्या हैं ?
वास्तव में कान्यकुब्ज ब्राह्मणों के पांच भेद हुए –

  • १)सरयूपारी २) सनाढ्य ३) भूमिहार ४) जुझौतिया ५) प्राकृत

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