मुसलमानसँ जखन हिनका संघर्ष भेल छलन्हि तखन नरहनक बबुआन हिनका मदति केने छलथिन्ह। नरेन्द्र सिंह आ नरहनक बबुआनक बहादुरी देखि नवाव आश्चर्यचकित रहि गेल छलाह जकर स्पष्टीकरण निम्नलिखित पद्यसँ होइछ–
“ऐसो महाघोर जोर जंग सुल्तानी
बीच झुकत बबरजंग संगर करीन्द्र हैं।
औलिया नवाव नामदार पूछै बार–बार।
ये दोनो कौन लड़त अरिवारण परीन्द्र हैं।
साहेब सुजान जैनुद्दिन अहमद खाँ सामनेयय
अजेकरत कहत कवि चन्द्र हैं।
ये तो द्रोणवारकेँशो साह के अजीत साह
आगे राघो सिंह जी के नवल नरेन्द्र हैं।
हुनका समयमे बछौर परगन्ना लऽ कए पुनः झंझट ठाढ़ भेल। बछौरक रूपनारायण इ झंझट केने छलाह। नरेन्द्र सिंह नवाव महावत जंगक ओतए जाय मुर्शिदाबादमे अपन दावी रखलन्हि परञ्च नवाव हुनकासँ अनुरोध केलथिन्ह जे ओ बछौर परगन्ना रूपनारायणकेँ दऽ देथुन्ह। राजमहल धरि सब गोटए संगहि अबैत गेलाह आ ओतए पुनः नवाव हुनकासँ आग्रह केलथिन्ह तखन नरेन्द्र सिंह एहि शर्त्तपर देबा लेल तैयार भेलाह जे ओ हुनका (नरेन्द्र सिंहक) प्रति राजभक्त रहताह आ करहिया, चिचरी आ जयनगरपर ओ कोनो प्रकारक दावा नहि करताह कारण इ सब तिरहूत राजाक सम्पत्ति छल। राजा आ नवावमे बढ़िया सम्बन्ध छलन्हि। नरेन्द्र सिंहकेँ जे सुविधा सरकार द्वारा भेटलैक तकर विवरण कम्पनीक कागज सबमे सेहो भेटइत अछि। कन्दर्पी घाटक लड़ाइक विवरण जे लाल कवि कएने छथि ताहिसँ ताहि दिनक मिथिला दरबारक ज्ञान होइछ। नरेन्द्र सिंह अपन पिताक स्मारककेँ चिरस्थायी बनेबाक कारणे सहरसा जिलामे राघवपुर (राघोपुर) नामक स्थानक स्थापना केलन्हि। मठक स्थापनाक हेतु कैक व्यक्तिकेँ दान देलन्हि। हुनक एकटा पत्नी महिषिक छलथिन्ह आ तिनके आग्रहपर ओ महिषिमे उग्रताराक मन्दिरक जीर्णोद्धार केलन्हि। हुनक दरबार विद्वानक हेतु एकटा बड़का आश्रय छल।
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