जौनपुर अब बनारस रियासत का हिस्सा है, जिसके शासक पहले अवध सूबे के ज़मींदार थे. ख़िराज अब भी देते हैं, पर अब अपने को ‘महाराजा बहादुर’ कहते हैं और कहलवाते हैं. मुग़ल साम्राज्य की गिरानी के दिनों में खड़ी हुई अन्य रियासतों की तरह, यह भी हेकड़ी और जोड़-तोड़ से वजूद में आई. भूमिहार गौतम ब्राह्मणों की इस रियासत का मौजूदा शासक है बलवंत सिंह, जो गाहे-बगाहे प्राचीन काल के काशी-नरेशों की गरिमा का लबादा ओढ़ने की कोशिश करता है–नाम सिर्फ़ नाम नहीं होते, एक दीर्घ परम्परा के वाहक भी होते हैं….बलवंत सिंह उस चैत सिंह का पिता है जिसके साथ पहले गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग्स की ज़्यादती का किस्सा जग-ज़ाहिर है. वह किस्सा भी अभी भविष्य के गर्भ में.
अभी तो अवध के तीसरे नवाब शुजाउद्दौला बक्सर में हारकर बरेली के रुहेलों के आश्रय में पड़े हैं. ऐसे में बलवंत सिंह सचमुच का राजा हो सकता था, लेकिन कम्पनी है कि बनारस-समेत पूरा का पूरा सूबा ही रौंद डालने पर उतारू है. तो अवध के साथ बनारस रियासत का भविष्य भी अनिश्चय के अँधेरे में लटक रहा है.
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