पटना के समीप मनेर नामक स्थान से उसका एक लेख मिलता है जिसमें मालयारी पत्तला के गुणाव एवं पडाली गाँवों को दान में देने का उल्लेख है ।
उसी प्रकार लार लेख से भी पता चलता है कि मुगेर में निवास के समय उसने पोटाचवाड नामक ग्रामदान में दिया था । ऐसा लगता है कि गोविन्दचन्द्र ने मदनपाल को हराकर मुंगेर क्षेत्र को जीत लिया था जबकि पटना क्षेत्र की विजय उसने रामपाल के समय में ही की होगी ।
किन्तु यह अधिकार स्थायी नहीं रहा तथा मदनपाल ने पुन: वहाँ अपना अधिकार जमा लिया । संभव है गोविन्दचन्द्र के बाद ही पाली ने मुंगेर क्षेत्र पर अपना अधिकार किया हो । इसी प्रकार कलचुरियों को पराजित कर गिबिंदचन्द्र ने यमुना तथा सोन नदियों के बीच स्थित उनके कुछ प्रदेश अपने अधिकार में कर लिये थे ।
उसी ने सबसे पहले कलचुरि राजाओं द्वारा धारण की जाने वाली उपाधियां- अश्वपति, गजपति, नरपति, राजत्रयाधिपति धारण किया था । उसके एक लेख से विदित होता है कि करण्ड तथा करण्डतल्ल नामक ग्राम जो पहले कलचुरि नरेश यशकर्ण के अधीन थे, को गोविन्दचन्द्र ने एक ब्राह्मण को दान में दिया था
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