बनारस में गंगा किनारे जो प्राचीन बसावट है, उसमें दक्षिण भारतीय, मराठी, गुजराती और बंगाली परिवारों की बड़ी संख्या है। ये सदियों से यहां रह रहे हैं। इनके अलग-अलग मोहल्ले हैं। पं. कुबेरनाथ सुकुल ने अपनी पुस्तक ‘वाराणसी वैभव’ में काशी के धार्मिक इतिहास की चर्चा करते हुए लिखा है- ‘पुराण काल में कर्नाटक, तैलंग, गुर्जर, महाराष्ट्र तथा आंध्र प्रदेश को, जो विंध्याचल के दक्षिण में थे, द्रविड़ देश माना जाता था और उनमें रहने वालों के लिए पंच द्रविड़ शब्द प्रयोग में आता है।’ वर्तमान बनारस में उमा घाट पर पंचद्रविड़ संस्थानम है। बनारस में दक्षिण भारतीय मूल के लोगों की बसावट सर्वाधिक दुर्गा घाट, ब्रह्मा घाट, हनुमान घाट, अगस्त्यकुंडा, दशाश्वमेध इलाकों में है। यहां करीब 10 हजार मतदाता हैं। इसी तरह हनुमान घाट, मानसरोवर घाट, केदार घाट आदि इलाकों में बड़ी संख्या में मराठी परिवार रहते हैं। इनमें भी करीब 10 हजार मतदाता हैं।
Thursday, October 4, 2018
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