Tuesday, October 9, 2018


भगवती बाला त्रिपुर सुंदरी, मंदिर, बड़हिया
पांच टा पिण्ड
भगवती बाला त्रिपुर सुंदरी : बड़हिया (रात्रि दृश्य)
मिथिला धरोहर, लखीसराय : सिद्ध मंगलापीठ के नाम सँ प्रसिद्ध माँ बाला त्रिपुर सुंदरी जगदम्बा के मंदिर पवित्र गंगा नदी के तट पर लखीसराय जिला अंतर्गत बड़हिया ग्राम मे स्थित अछि। लाखक आबादी बला इ नगर हावड़ा दानापुर रेलखंड के मुख्यमार्ग पर स्थित अछि। बड़हिया स्टेशन पर प्राय: सबटा गाडि रुकैत अछि अत: देशक कुनो भी स्थान सँ एतय पहुचल जा सकैत अछि। यात्रि सबके रुकवाक लेल एतय मंदिर समिति दिसन सँ भक्त श्रीधर सेवाश्रम के नाम सँ एकटा बहुमंजिला धर्मशाला के निर्माण कैल गेल अछि। अहि मंदिर के ऊंचाई 151 फीट अछि आ स्वर्ण कलश के संग 167 फीट अछि जे बिहारक सबसँ ऊँच मंदिर अछि।
माँ बाला त्रिपुर सुंदरी केर संक्षिप्त इतिहास
जतय आय मंदिर अछि ओ जमीन सातवीं शताब्दी मे पालवंश केर प्रतापी राजा इंद्रद्युम्न मैथिल ब्राह्माण प्रथु ठाकुर आ जय ठाकुर के देने छलथी। जगन्नाथपुरी जेबाक क्रम मे गंगा पार होइत काल अहि स्थल पर उक्त दुनु ब्राह्माण बंधु बिलाई (बिल्ली) के मुस (चूहा) सँ लडैत देखने छलथि। अहिमे बिलाइर के हाइर् भऽ गेल। ताहि सँ हुनका लगलनि जे इ स्थल देवी शक्ति के केन्द्र अछि फेर दुनु ब्राह्माण बंधु सेहो एतय रहय लगला।
जय ठाकुर कर्म कांड केर विद्वान छलैथ ओ मैथिल ब्राह्माण तऽ छलैथे, दान पुण्य मे भेटल जमीन आ संपत्ति अपन भाई प्रथु ठाकुर के देबय लगला। अहि कारण हिनक भाई भूमिहार ब्राह्माण केर नाउ सँ पुकारल जाय लगला। हिनके वंश मे श्रीधर ओझा पैदा भेला जे घर सँ दूर रैह गंगा तट पर कुटिया मे सिद्धि के प्राप्त कऽ रहल छला। यैह क्रम मे ओ कश्मीर सेहो गेला और ओतय वैष्णो देवी केर स्थापना केलैथ। मान्यता अछि जे ओहि क्रम मे श्रीधर ओझा के स्वप्न एलनि जे प्रात: काल गंगा मे ज्योति मृतका एकटा खप्पर मे प्रवाहित होइत देखाइत। एकर आराधना सँ संसार के दुख दूर होयत। ओ आपस बड़हिया एलखिन और गंगा तट पर ज्योति स्वरूपा त्रिपुर सुंदरी के प्रज्वलित शिखा के रूप मे देख'लथि। फेर देवी दर्शन देलखिन और कहलखिन तोरा पांडित्य सँ प्रभावित छी हमर बाला रूप बड़हिया मे विराजमान हेतय।
देवी दू टा शर्त रखलखिन पहिला इ जे माँ बाला त्रिपुर सुंदरी गंगा केर मइट्ट मे निवास करथिन आ दोसर शर्त श्रीधर ओझा के ओतय जलसमाधि लेबय परतन। शर्तक अनुसार श्रीधर ओझा शास्त्रीय विधि सँ त्रिपुर सुन्दरी महाकाली, महालक्ष्मी और महा सरस्वती के पिण्डी केर स्थापना केलथि आ ओतय जल समाधि ल लेलखिन। फेर बाद मे भक्त सब एकटा और पिण्ड के स्थापना श्रीधर ओझा केर रूप मे ओतय केलनि। आब मंदिर मे पांच पिण्ड केर पूजा होइत अछि।
धरती सँ करीब 16 फीटक ऊंचाई पर देवी स्थापित छथि जेखन कि मंदिर के ऊंचाई 151 फीट अछि। मंदिर के शिखर पर स्वर्ण कलश के संग माँ जगदम्बा के ध्वज फहरइत रहैत अछि।

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