Thursday, October 11, 2018

नरहनक द्रोणवार वंश :- द्रोणवार लोकनिकेँ छथि, कहाँसँ एलाह आर कोना अहिठाम अपन राज्यक स्थापना केलन्हि अथक परिश्रमक बाबजूदो हमारा कोनो ठोस सामग्री जुटेबामे समर्थ नहि भेलहुँ अछि। ईलोकनि पश्चिमसँ एलाह आर एक परम्पराक अनुसार कन्नौजसँ। जँ अहि परम्परामे विश्वास कैल जाइक तखन तँ हमरा बुझि पड़इयै जे कोलाञ्चसँ ब्राह्मण लोकनिकेँ बजाकेँ जे दान देल जाइत छल ताहिकालक ओहिमहक कोनो शाखा द्रोणवारक पूर्वज रहल हेथिन्ह। पंचोभ ताम्रपत्र अभिलेखसँ स्पष्ट अछि जे 13म शताब्दी धरि कोलाञ्च ब्राह्मणकेँ आमंत्रित कए दान देल जाइत छलन्हि। द्रोणवार परम्परामे कहल जाइत अछि जे कन्नौज से जे द्रोणवारक शाखा तिरहूत अवइत छल ताहिमे सँ किछु गोटए बाटहिमे गाजीपुरमे रूकि गेलाह। कहल जाइत अछि जे तिरहूतमे ‘द्रोणवार’ लोकनि ‘द्रोणडीह’सँ आएल छथि। दोसर परम्पराक अनुसार हिमालयक तलहट्टीमे द्रोणसागर नामक कोनो ताल अछि जकर चारूकात बहुत रास ब्राह्मण बसैत छलाह आर तैं ई लोकनि द्रोणवार कहौलन्हि। रेलवे बोर्ड द्वारा प्रकाशित ‘तीर्थाटन – प्रदीपिका’ नामक पोथीमे काशीपुर द्रोणसागरक वर्णन अछि। पाण्डव लोकनि अपन गुरू द्रोणाचार्यक हेतु ‘द्रोणसागर’क निर्माण केने छलाह।
सरैसा परगन्नाक द्रोणवारक ओतए जे मैथिल पंडितक लिखल हस्तलेख सब अछि ताहिमे ओ लोकनि द्रोणवारक हेतु ‘द्रोणवंशोद्भव’ शब्दक व्यवहार कएने छथि। द्रोणवार लोकनि अपनाकेँ द्रोणक वंशज कहैत छथि आर पश्चिमक वासी सेहो। मुसलमानी उपद्रव बढ़लाक बाद ई लोकनि अपन मूलस्थानसँ भगलाह आर ओहि क्रममे एक शाखा तिरहूतमे आबिकेँ बसलाह। विद्यापति अपन लिखनावलीमे द्रोणवार पुरादित्यक उल्लेख केने छथि जिनक राज्य नेपालक तराईमे छल आर जाहिठाम विद्यापति लखिमाकेँ लऽ कए प्रश्रय लेने छलाह। परमेश्वर झाक अनुसार शिवसिंह रानिपासक सब स्त्रीवर्गकेँ विद्यापति ठाकुरक संग कए नेपालक तराईमे रजा बनौली गाम सप्तरी परगन्नाक अधिपति निजमित्र पुरादित्य नामक द्रोनवंशीय द्रोणवार राजाक शरणमे पठौलन्हि। पुरादित्य द्रोणवार हुनका सबहिक सम्मानपूर्वक रक्षा केलन्हि। एहिसँ स्पष्ट अछि जे ओइनवार वंशक शिवसिंह आर द्रोणवार वंशक पुरादित्यक मध्य घनिष्ट मित्रता छल। अहिठाम विद्यापति लिखनावली लिखलैन्ह आर भागवतक प्रतिलिपि सेहो तैयार केलन्हि।
द्रोणवारक बस्ती देवकुलीक सम्बन्धमे परमेश्वर झा लिखैत छथि जे तेसर देवकुली मुजफ्फरपुर जिलामे शिवहर राजधानीसँ एक कोस पूर्व सीतामढ़ी सड़कसँ दक्षिण भागमे अछि, ताहिमे एक बहुत खाधिमे एक शिवलिंग भुवनेश्वर नामक छथि आर एहि गामक विषयमे बहुत रास पुरान कर्थापकथन अछि जाहिमे कौरव पाण्डवक उल्लेख सेहो अबैछ। संभवजे ई देवकुली द्रोणवारक मूल स्थान रहल हो आर एतहिसँ ओ लोकनि चारूकात पसरल होथि। द्रोणवारक संघर्ष बौद्ध लोकनिसँ तिरहूतक सीमामे भेल छलन्हि से हमरा लोकनिकेँ विद्यापतिसँ ज्ञात होइछ। एहिसँ इहो सिद्ध होइछ जे द्रोणवार लोकनि सेहो मिथिलाक उत्तरांचलमे प्रबल शक्तिक रूपमे विराजमान छलाह आर मैथिल ब्राह्मणहि जकाँ बौद्ध विरोधी सेहो छलाह। आन द्रोणवार वंशक एहेन प्रमाण आर कहाँ भेटैत अछि। द्रोणवार लोकनि मूलरूपेण तिरहूतक अंशमे प्राचीन कालमे रहल हेताह आर नेपालक तराई धरि अपन राज्यक विस्तार केने होथिसे संभव।
द्रोणवार परम्परा एकटा कथा इहो अछि जे बुद्धक देहावसान भेलापर जखन हुनक अस्थि वितरण होइत छल तखन मिथिलामे द्रोण ब्राह्मण लोकनि हुनक अस्थि अनने छलाह। जँ ताहिकाल ‘द्रोणवार’ लोकनि मिथिलामे उपस्थित छलाह तखन तँ हमर तँ ई मत आरो पुष्ट होइछ जे द्रोणवार अहिठामक थिकाह आर मिथिलाक आन ब्राह्मण जकाँ हिनको उत्पत्ति तिरहूतेमे भेल छलन्हि। मात्र अस्थि संचय करबा लेल ओ द्रोण लोकनि ओतए दूरसँ एतए नहि आएल होएताह। काल क्रमेण ब्राह्मण कौलिक कार्यसँ अपनाकेँ फराक कऽ लेलापर ई लोकनि भूमिहार कऽ कोटिमे राखल गेल होथि से संभव।
एक दोसर परम्पराक अनुसार नेपाल दरबारसँ द्रोणवार लोकनिकेँ राजाक उपाधि भेटलन्हि आर हिनक शौर्यकेँ देखैत मकमानी जिलाक भार हिनका लोकनिकेँ देल गेल छलन्हि। द्रोणवार राजा अभिमान राय प्रसिद्ध भेला आर मकमानीमे हिनक अधिपत्य छलन्हि आर ई लोकनि ‘पाण्डेय’ कहबैत छलाह। अभिमानक मृत्युक पश्चात् हुनक कर्मचारी लोकनि महारानीकेँ लऽ कए मिथिला प्रांतक दक्षिणी सीमापर स्थित बेलौंचे सुदई मूलक चक्रवार ब्राह्मणक राज्यमे पहुँचा देलन्हि। अभिमान रायक पुत्र छलाह गंग़ाराम। गंगाराम अहिवंशक सर्वप्रसिद्ध व्यक्ति भेल छथि आर हिनका सम्बन्धमे बहुत रास किवंदती अछि। चक्रवार राजा अपन कन्यासँ गंगारामक विवाह करौलन्हि। सार–बहनोईमे सामान्य बाताबाती भेलापर ओ राज्य छोड़ि देलन्हि आर अपन पत्नीकेँ संग लऽ कए ओतएसँ चलि देलन्हि। ससूरसँ सेनाक साहाय्य भेटलन्हि आर ओ सरैसा परगन्नामे अपन राज्यक स्थापना केलन्हि। सरैसा परगन्नाक “पुनाश” गाममे हिनक पूर्वज पहिने रहैत छलथिन्ह तैं सरैसा परगन्नामे राज्य स्थापनाक निर्णय ई केलन्हि। ताहि दिनमे ओहि सब क्षेत्रपर मुसलमानक आधिपत्य छल। ताजखाँ (ताजपुरक संस्थापक) आर सुल्तानखाँ (सुल्तानपुरक संस्थापक)केँ मारि ई मोरवामे अपन राजधानी बनौलन्हि। सरैसा परगन्ना नरहनसँ जन्दाहा धरि करीब ४०मील नाम अछि आर पो खरैरासँ सुल्तानपुर घाट धरि करीब २०मील चाकर अछि। हिनक एक विवाह मैथिल ब्राह्मण परिवारमे सेहो छलन्हि। पहिल पत्नीक नाम भागरानी आर दोसराक नाम मुक्तारानी छलन्हि। हिनक दुनुरानी मोरवा गढ़मे सती भेलथिन्ह। 
भागरानीसँ उत्पन्न पुत्र भेला राय बड्ड प्रतापी भेलाह। भेला राय मोरवा सुल्तानपुरमे रहलाह आर मालाराय ‘वीरसिंह पुर–पोखरैरा’मे भेला रायक वंशज नरहनक पूर्वज भेलाह। अहिवंशक लोग बनारसक गद्दीपर छथि। भेला रायक पुत्र विक्रमादित्य रायकेँ सरैसा परगन्नाक ‘चौधराई’ भेटलन्हि। विक्रमादित्य राय बड़ा पराक्रमी छलाह। ई अपना नामपर ‘विक्रमपुर’ गाम बसौलन्हि। हिनक पुत्र हरेकृष्ण राय नरहनमे अपन दोसर राजधानी बनौलन्हि।– प्रधान राजधानी मोरवा आर दोसर नरहन। वंशवृक्षक अनुसार इतिहास एवं प्रकारे अछि– 
द्रोणवार हरगोविन्द राय– 
चौधरी केशवनारायण राय (सरैसा, भूषारी, नैपुर परगन्ना)
फतेह नारायण 
अजीत नारायण
चित्र नारायण (इमाहपुर परगन्नाकेँ मिलौलन्हि)
अजीतन नारायण–सम्राटसँ हमका, सुरौली, लोमा, विझरौली, ननकार, लाखिराजक रूपमे हिनका भेटलन्हि
वैवाहिक सम्बन्ध टेकारीसँ छलन्हि
हिनक जेठपुत्र दिग्विजय नारायण बनारसक राजा बलबंत सिंहक बेटीसँ विवाह केलन्हि -
वारेन हेस्टिङ्गक मदतिसँ बलबंत सिंहक बाद चेतसिंह बनारसक गद्दीपर बैसलाह। जखन चेतसिंह वारेन हेस्टिङ्गसँ पराजित भेलाह आर बनारसक राजगद्दी खाली भेल तखन नरहनक अजीत नारायणक पौत्र आर दिग्विजय नारायणक पुत्र वारेन हेस्टिङ्गक अनुमतिसँ बनारसक गद्दीपर बैसलाह। हुनक नाम छलन्हि राजा महीप सिह आर ई सालाना ३८ लाख टाका वारेन हेस्टिङ्गकेँ देबाक वचन देलथिन्ह। तहियासँ बनारसक गद्दीपर हिनके वंशज शासन कै रहल अछि। 
महीप सिंह
उदित सिंह
ईश्वरी प्रसाद सिंह
प्रभुनारायण सिंह
आदित्य नारायण सिंह 
दिग्विजयक भ्राता अरहन स्टेटक मालिक भेला। महाराज दरभंगाक जे नवाबक संग कन्दर्पी घाटक लड़ाई भेल छल ताहिमे सर्वजीत सिंह नरेन्द्र सिंहक दिस छलाह। हुनक भाए उमराव सिंह नरहनक सैनिकक नेतृत्व करैत छलाह आर एकर विवरण हमरा लाल कविसँ भेटैत अछि। नरेन्द्र सिंह प्रसन्न भए हिनका दुनु भाईकेँ पुरस्कृत करए चाहैत छलथिन्ह मुदा ओ लोकनि पुरस्कार लेबासँ नकारि गेलाह तथापि फरकिया परगन्नामे हिनका लोकनिकेँ किछु गाँव भेटलन्हि। दरभंगा राज परिवारमे एहि हेतु नरहन राज परिवारक बड्ड सम्मान छलैक। हिनका लोकनिमे एतेक नीक सम्बन्ध छल जे महाराज प्रताप सिंहक समयमे जखन नवाबक दबाब बढ़ल तँ प्रताप सिंह अपन परिवारकेँ नरहन पठा देलन्हि आर अपने बेतिया च गेलाह। रामेश्वर सिंह धरि ई सम्बन्ध ओहिना बनल छल।
सर्वजीत 
रणजीत 
रूपनारायण 
परमेश्वरी प्रसाद सिंह
नरहन दरबारमे चित्रधर मिश्र आर चंदा झा सन प्रसिद्ध विद्वानकेँ प्रश्रय भेटल छलन्हि आर महामहोपाध्याय गंगानाथ झासँ सेहो हिनका लोकनिक बढ़िया सम्बन्ध छल। रामनारायणक सम्बन्ध नेपालक जंगबहादुर शाहसँ सेहो छल कारण दुनु गोटएकेँ सोनपुर मेलामे नेट भेल छलन्हि। रामनारायण नेपालो गेल छलाह। 

No comments: