Thursday, October 18, 2018

भूमिहार ब्राह्राणों के भूमिपति होने के बहुत से कारक है। भगवान परशुराम ने क्षत्रिय का विनाश कर उनकी भूमि कश्यप आदि ब्राह्राणों को दी थी, यह सर्वविदित है। कुछ ब्राह्राणों को लोकहितकारी सेवाओं के कारण राजवंशो से भूमि अग्रहार के रूप में प्राप्त हुर्इ। प्राचीन काल में कुछ राजवंश ब्राह्राणों के थे। जैसे- शुंग, कण्व, सातवाहन, गुप्त इत्यादि। आज के भूमि हार ब्राह्राणों में से कुछ उन्हीं प्राचीन राजवंशो की परम्परा में है। भूमिहार ब्राह्राणों में चनकिया, सुंगनिया और कण्वायन इन्हीं प्राचीन राजवंशो के अवशेष है।  चनकिया चाणक्यवंशी ब्राह्राण हैं, सुंगनिया और कण्वायन का सम्बन्ध् शुंगवंश तथा कण्ववंश से है। ;शुंगवंश में पुष्यमित्रा सबसे प्रसिद्व राजा हुए हैद्ध। इस वर्ग में कुछ ऐसे ध्र्माचार्यो के वंशज भी समिमलित हैं जो शिक्षण संस्थाओं के संचालन हेतु भूमि ले लेते थे। प्राचीन राजवंशी के उच्च पदाधिकारी, प्रशासक तथा सेनापति भी इस वर्ग में समिमलित हुए है। भूमिहार ब्राह्राणों को शताबिदयों की इस ऐसतिहासिक प्रकि्रया से भूमि प्राप्त हुर्इ है। इस वर्ग के अधिकांश लोगो ने अपने बाहुबल और पुरूषार्थ से भुमि अर्जित की है।

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